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बुधवार, 30 मार्च 2022

खुद री भासा बिना क्यांरो राजस्थान-पवन पहाड़िया

खुद री भासा बिना क्यांरो राजस्थान-पवन पहाड़िया
●राजस्थानी बिना कुणसो राजस्थान दिवस
 
आजादी आई, रजवाड़ां मांय बंट्योड़ै परदेस नै राजस्थान बणावण खातर सगळा खेचल कर करार पण उण बगत री समझ अर समझौतै मुजब आप आप री समझ अर देस हित मांय त्याग करतां थकां एक देस री भावना में बेवता जिको त्याग करियो, बो बीं बगत री जरूत ही, पण बीं त्याग रो फळ मिलणो तो आगो गयो,आज बो त्याग आपणै खातर नासूर बणग्यो। 
आजादी पछै रा हालातां नै आज री पीढ़ी अजै तांणी भोग रैयी है। इणरो कारण आपणै उण बगत रै त्याग नै केन्द्र मांय रैयी कांग्रेस अर बीजेपी री सरकारां अणदेखी रै खातै खता दियो। आज राजस्थान आं नेतावां रै आगै लीलड़ी गांवतो बापड़ो होय रैयो है।    बड़ेरां रो करयोड़ो त्याग आज आपणै खातर बोझ बणग्यो। 
राजस्थान दिवस लारला सात दसकां सूं आपां मनावता आ रैया हां, सरकारी स्तर माथै ई आछा कार्यक्रम हुवै , मोटा मोटा विग्यापन छपै, पण परदेस वासी इण नै मनाय'र कांईं  हासल करै ओ कोई माई रो लाल सोचै ई कोनी।
आज इण प्रांत री दसूं करोड़ री जनता आप री बोली नै,आपरी ओळखाण नै मानता रो सेवरो पैरावण री बाट जोवै।पण घणी बातां छमकणवाळा आपणै प्रधानमंत्री जी रै कांन मांय भणकारो ई नीं होवै। मानता नै उडीकतां तीन पीढ़ी आगै सुरगां गई परी। 
इण कारज नै सारण वाळा कोई बारलै देसां सूं तो आवणा रैया, अठै रा जिका जन प्रतिनिधि आपणी सरकार चलावै, वां नै इण रो दर ई दरद नीं है। अर हुवै ई क्यूँ जठै तांणी फ़चर नीं लागै। आं राज करणियां रै किसी अड़ी पड़ी है। 
आपणा परदेस वासी घणा स्याणा है , आपणा बड़का बिचारा इण री आण - बाण खातर जंगळां में रोंवता फिर लिया ,राज - पाट गमाय दियो पण मूंछ नीची नीं हुवण दी,घास री रोट्यां ई बगत पड़्यां खायली पण स्यान नीं गमण दी। 
आज री पीढ़ी आपरी ओळखाण खातर, आपरी अस्मिता खातर कठै ई कीं करै तो बीजा मिनख साथ नीं दैवै। इण खातर ई आपणै परदेस री राज भासा री मानता रो बीड़ो आज तलक कोई नीं उठायो,आपणा जन प्रतिनिधि ई पांच साल होयां आपां नै पटाय'र आपणा बोट लेय जावै अर पाछो कोई माई को लाल इण मुद्दा माथै क्यां खातर बखेड़ो करै ? 
आपणी जवान पीढ़ी जठै ताणी ओ बीड़ो नीं उठासी बठै तांणी आपणी भासा री अणदेखी माथै कोई विचार नीं करेला। आज किसी ई नौकरी री वेकेंसी आवै, आपणी नासमझी पांण बीजा परदेस रा टाबरिया आपणै हक नै लूट ले जावै। दुःख इण बात रो है,आ पीड़ा आपणा टाबरां रै समझ में क्यूँ नीं आवै। 
जठै तांणी आपणै परदेस री राजभासा राजस्थानी नीं बणसी, बठै तक पाड़ोस रा गादड़ा ओ बिना बाड़ रो खेत चरसी। आपणो हक मारै अर पछै आपां नै ई नीं धारै, जै इण माथै जवान पीढ़ी सोचले तो नीं रैवै किण रै ई सारै। 
जिकी सरकार सरब सैमती सूं 2003 मांय भासाई मानता रो संकळप पारित कर'र केन्द्र सरकार नै भेज सकै बा ई सरकार आज परदेस री दूजी राजभासा नीं बणायर केन्द्र नै नाजोगा बतावै बै आपरै गिरेबान में क्यूँ नीं झांके?
घर रो दोस तो दिखै कोनी अर ओळमो पाड़ोस्या नै।
दोस सगळो आपणो है जठै ताणी आपां आंने मजबूर नीं करांलां, आपणी ओळखाण नीं करांवांला बठै ताणी ऐ मजा करयां जासी अर आपणै कीं हाथ नीं आसी। आज दस करोड़ राजस्थानियां री बोली रै ऐ ताळो जड़्यां बैठा है अर आपां आपणे साचै हक सारू जे नीं लड़िया तो मायड़ आपां नै जण'र खोटी ई होई। 
राजस्थान दिवस बिना बोली रै गूंगा बणियोड़ा और किता बरस मनास्यो? 
●● ईण वास्ते सगला जना राजस्थानी भाषा री मानता दिलावण रो बीड़ो उठाओ सा !

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