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बुधवार, 7 जुलाई 2021

एक साक्षात्कार साहित्य साधक श्रीमदनसिंह शेखावत, ढ़ोढ़सर के साथ।-भवानीसिंह राठौड़ 'भावुक'

एक साक्षात्कार साहित्य साधक श्रीमदनसिंह शेखावत, ढ़ोढ़सर के साथ।-भवानीसिंह राठौड़ 'भावुक' 
जयपुरः07 जून।
साहित रा सिंणगार१००' पटल पर साप्ताहिक कार्यक्रम 'इनसे मिलिए' में आज संचालक मंडल ने तय किया है कि, आदरणीय मदनसिंह जी शेखावत का साक्षात्कार लिया जाए।
परिचय:- 
1 नाम :- मदन सिंह शेखावत 
2 पिताजी का नाम:- इन्द्र सिंह शेखावत 
3 माता जी का नाम:- सरताज कंवर
4 पत्नी का नाम:- किरण कंवर
5गांव :- ढोढसर जिला जयपुर (राजस्थान) 
6शैक्षणिक योग्यता :- हायर सेकंडरी पास 
7सर्विस :- राजस्थान विधुत प्रसारण निगम वरिष्ठ  लिपक 
सेवानिवृसेवा 31/12/ 2016 सर्विस दौरान सदैव लगन से कार्य करना समय पर काम निपटाना समय का पाबन्द रहना सभी अधिकारियो की बहुत कृपा रही एक ही लक्ष्य अच्छा काम करना।
8 साहित्य क्षेत्र  मे 2018 से  आदरणीय महेन्द्र सिंह जी जाखली व भावुक सा की वजह से आदरणीय गुरु देव बाबूलाल जी का पूर्ण आशीर्वाद।
9 साहित्य उपलब्धि प्रजातंत्र का स्तंभ समूह से से दो प्रथम एक द्वितीय श्रेणी पुरस्कार 
कोटा कवि चौपाल समूह द्वारा  श्रेष्ठ सृजन के चार पाँच एक प्रथम एक द्वितीय व एक तृतीय स्थान पुरस्कार  और विशेष नही।
10 साझा संकलन मे चार बार रचनाये प्रकाशित  एक आध पत्र पत्रिका मे प्रकाशित 
11 पहले पांच सात समूह से जुड़ा रहा  अभी सिर्फ चार से।
विशेष :- पढने पढाने विशेष रूचि
12 दो तीन समूह मे समीक्षक का पटल संचालन का कार्य  सम्पूर्ण समय साहित्य के लिए व हिंदी हित हेतु समर्पित।
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कवि बैजनाथ मिश्रः स्वागत-अभिनंदन है
 मदनसिंह शेखावत: आपका आभार आदरणीय बाबाजी।
 बाबूलाल शर्मा बोहरा: आदरणीय शेखावत सा,साहित्य के प्रति आपक रुझान कब से और कैसे हुआ?कृपया बताएँ
मदनसिंघ शेखावत: आदरणीय मै फेसबुकिया कवि था आदरणीय महेन्द्र सा जाखली से मित्रता थी उन्होंने मुझे जबरदस्ती साहित और समशीर समूह से सेवानिवृत्त के एक साल बाद जोङा फिर धीरे-धीरे रूचि बढती फिर इसी समूह के माध्यम से आपके सम्पर्क मे आया प्रजातंत्र के स्तंभ से जोङा फिर गाङी चल पङी ।मै पढने हमेशा होशियार था धरेलु परिस्थिति वश हायर सेकंडरी से आगे नही पढ सका।
कवियत्री शकुंतला शर्मा: आदरणीय कृपया यह बताइए  कि  आपने छंदोबद्ध  रचना जैसे दोहा आदि लेखन में  महारत कितने समय में  प्राप्त  की।किस किस तरह के प्रयास  किए।
मदनसिंघ शेखावत : यही कोई दो साल में
 कवियत्री शकुंतला शर्मा: क्या एक और प्रश्न  भी पूछ सकते है!
 मदनसिंघ शेखावत : जी पूछिये
कवियत्री शकुंतला शर्मा: इस उत्तर के बाद यह भी जानना चाहती हूँ  कि  मुझे  दोहा लेखन अभ्यास  के लिए किस तरह का परिश्रम करना चाहिए।क्या प्रयास  करने से हर कोई  दोहा या छंदोबद्ध  रचना लिख सकते है  कृपया उपक्रम क्या क्या  किया,यह भी बताएँ  तो हमें  भी प्रेरणा  मिले!! इस प्रश्न  का उत्तर  जानना मेरे सीखने का आधार  बनेगा।
मदनसिंघ शेखावत : हमेशा या भाग्य वश श्रेष्ठ गुरुजनो के सम्पर्क मे रहा सृजन मे जो भी खामी बताई गई उससे पूरे मनोयोग से दूर करने का प्रयास किया  सबकी रचनाए लगातार पढना  दिये गये विषय पर रोज सृजन करना। आदरणीय भावुक सा ने खूब मदद की सदैव गुरु जी बाबूलाल जी ने मुझे आश्वस्त किया मै सिखावुगा । सदैव सहारा दिया
 कवि बैजनाथ मिश्र : सीताराम कक्षा गत पढ़ाई केवल नौकरी तक ही सीमित करती है।पर विद्या की श्रेष्ठता हमें ऊर्ध्वगामी बनाती है।आफ श्रेष्ठ हैं।श्रेष्ठता को नमन।
कवियत्री शकुंतला शर्मा: जी सहमत हूँ। इनकी लेखनी अद्भुत  है। नमन है आपको
हम भी आपके बताए रास्ते  पर  चल कर प्रयास  करेंगे। सादर धन्यवाद
 कवि बैजनाथ मिश्र : सीताराम सीखने की ललक ही प्रथम गुरू है।फिर विज्ञ का सान्निध्य मिल गया।सोने में सुहागा।
मदनसिंघ शेखावत  : आदरणीय बाबाजी मै बचपन से सदैव भक्ति भाव के प्रति आकर्षित रहा है खूब रामयण पाठ किया है संगीतमय सुंदर काण्ड का खूब  वाचन किया पिछले 21 वर्ष से सदाफल देव जी महाराज से दीक्षा ले रखी है जो आपके झूसी प्रयागराज मे आश्रम है मुझ पर गुरुदेव की महती कृपा है।
अनेको बार आपसे बाते होती है। मन के मते कभी चलने का प्रयास नही करता सदैव निरुद्ध करने का प्रयास करता हू।
कवि बैजनाथ मिश्र : सीताराम अनुपम लगन।गुर निष्ठा से ही शीर्ष तक का मार्ग प्रशस्त होता है।आप धन्य हैं।हार्दिक प्रसन्नता। 
कवियत्री पुष्पा शर्मा 'कुसुम': आदरणीय मदनसिंह जी आपके मनपसन्द छंद
मदनसिंघ  शेखावत: आदरणीय दीदी वैसे तो मै ज्यादा नही जानता लेकिन चौपाई व दोहा मुझे बहुत पसंद है हमारे गुरुदेव ने स्वरवेद की रचना की जिसके तीन भाग मे हजारो दोहे मे ही लिखा है उनको खूब पढा मुझे हजारो दोहे कठस्थ है लेकिन कभी नकल करने व चोरी करने के खिलाफ हू।
 कवि बैजनाथ मिश्र : सीताराम स्वर वेद कभी सुअवसर मिला तो मैं पढ़ना चाहूँगा। 
मदनसिंघ शेखावत  : सदाफल देव जी बिरला विज्ञान केन्द्र के पास होआज भी आप साधको से सुक्ष्म शरीर से बाते करते है मार्गदर्शन करते है
कवियत्री पुष्पा शर्मा 'कुसुम': सृजन तो स्वयं का ही फलता: आ.शेखावत सा, आप इस पटल के मुखिया है, परिवार में जो 'दादा
बाबूलाल शर्मा' की भूमिका होती है, वही आप पटल पर बखूबी निभा रहे हैं, सबको साथ लेकर चल रहे हैं, पटल हित सम्पूर्ण समर्पण भाव से सदैव सक्रिय रहते हैं, क्यों न हम आपको "दादा" उपनाम से संबोधित करें?
मेरा यह प्रस्ताव आपको कैसा लगा,अपने विचार बताइए
पटल परिजन भी अपनी सहमति/असहमति दर्ज करे
कवि बैजनाथ मिश्र : सीताराम 
यह सर्वोत्तम विचार है।ऐसा हो।
 कवियत्री रश्मी शर्मा: आपकी साहित्य के प्रति सच्ची निष्ठा है और बहुत प्रबुद्ध व्यक्तित्व के धनी है आ.शर्मा सर जी आपका ये विचार बहुत ही बढ़िया है  मेरी सहमति है 
 बाबूलाल शर्मा: आ. दादा,आपसे अपेक्षा हैअब तक की रचनाएँ संकलित कर एक उत्तम एकल संग्रह साहित्य समाज को भेंट करें।कब तक आप यह कार्य सम्पन्न कर लेंगे
मदनसिंघ शेखावत : जी आदरणीय आपसे पहले निवेदन किया मेरे फोन की मैमोरी फूल बताता है तो नित्य समूह की रचनाए साफ करने पङती है आज मैने मेमोरी कार्ड ङलवाया आगे से कर सकता मेरे खुद की बहुत से रचनाए उङ गय 
 कवियत्री पुष्पा शर्मा 'कुसुम': भविष्य में आपके सृजन संग्रह को आप क्या नाम देना चाहेंगे, या किस विषय पर लिखना चाहेंगे।
मदनसिंघ शेखावत दीदी इस सम्बन्ध मे अभी कुछ विचार नही किया। अभी मुझ15 वर्ष और जीना जैसे प्रभु की इच्छा है वैसा ही होगा
कवियत्री पुष्पा शर्मा 'कुसुम'आप उम्र के बारे में इतने आश्वस्त हैं यह आश्चर्य का विषय है, जबकि शरीर तो क्षणभंगुर कहलाता है?
मदनसिंघ शेखावत  : जी दीदी मै यह बात अच्छी तरह जानता हू यह प्रभु कृपा है मेरा इसमे कुछ नही
मदनसिंघ शेखावत: दीदी जीवन मे सकारात्मक रहने से आधी समस्याए अपने आप हल हो जाती है
 मदनसिंघ शेखावत: आदरणीय आपका आशीर्वाद ही बहुत है  सदैव मैने गुरु आज्ञा का पालन किया सर्विस के दौरान मुझपर सभी अधिकारियो की बहुत कृपा रही है  सेवा निवृत्ति उपरांत हमारे मुख्य अभियंता मिश्रा साहब थे उन्होंने मुझे पुनः सर्विस हेतु ओफर दिया फेयर वेल पार्टी मे मैने विनम्रता से अस्वीकार कर दिया  बहुत कर सर 38 साल बहुत होते भगवान की दया से सद्बुद्धि दे रखी अब कुछ नही चाहे मै पैन्सन से भी कुछ लोगो का सहयोग करता रहता हू
कवि बैजनाथ मिश्र बाबा कल्पनेश, प्रयागराज: सीताराम उदार हृदय में तो साक्षात हरि निवास करते हैं। जय हो आपकी/
भवानीसिंघ राठोड़ 'भावुक': सुना है आपकी ससुराल में शक्तिस्वरूपा किसी देवी का जन्म हुआ था जो मां करणी की अनन्य उपासक थी।उनके बारे में भी बतायें?
मदनसिंघ शेखावत: मेरी श्रीमती की बङी बहिन भंवर बन्ना  जो पुरुषो की पोशाक मे रहते थे करणी जी के बङे भक्त थे आप थे तब तक भक्तो का ताता लगा रहता था आज वहा गांव वालो ने विशाल मंदिर बना रखा है उनकी समाधि है भक्त जाते है मनोकामना पूर्ण होते समय समय पर नवरात्रि मे हम लोग जाते रहते। मेरी सगाई अन्यत्र हुई  व देव योग से छूट कर इनसे विवाह हुआ घर मे सदैव शान्ति व मंगल रहा भंवर बन्ना की हम पर अति कृपा रहती है
 भवानीसिंघ राठोड़ 'भावुक' : हिन्दी के अलावा आपने राजस्थानी भाषा में भी लेखन किया है क्या?
 मदनसिंघ शेखावत: आप लोगो के साथ मे कुछ किया था प्रारम्भिक काल उसमे हम लोग जयपुर के होने राजस्थानी मै हिन्दी मिक्स हो जाती थी वह बैठा नही विशेष हुआ भी नही
 भवानीसिंघ राठोड़ 'भावुक': जी,आप अपने परिवार के बारे में भी कुछ बतायें?
मदनसिंघ शेखावत: सब प्रभु कृपा है हम पाँच भाई व तीन बहिन मे सातवे नम्बर पर हू सभी सरकारी नौकरी मे थे अभी दो भतीजे सर्विस मे है मेरे दो बेटी व एक बेटा है एक जवाई सा सर्विस मे एक वकील है एक बेटी का अभी तृतीय श्रेणी अध्यापक मे चयन हुआ है प्रतीक्षा रत  है बेटा एक है जो पाइवेट कम्पनी मे सर्विस करता अभी सैमसंग कम्पनी मे सीनियर टेरटैरी मैनेजर है mba किया हुआ एक पोता जो छ साल का है।
वंदना शर्माःनए रचनाकारों को किस रूप में देखना चाहते हैं
या यूं कहूँ कि उन्हें किस तरह की साहित्य साधना करनी चाहिए
मदनसिंह शेखावत:नये रचनाकारों  को कहना चाहता हू कि सबसे  पहले अपने अन्दर एक चाह पैदा करे मुझे कुछ सीखना है आपको राह तुरन्त मिल जायेगी  पूर्ण समर्पण से लगन से सीखे असम्भव कुछ नही होता मै पढता था तब सदैव कक्षा मे प्रथम आने हेतु प्रतिस्पर्धा करता था सिर्फ कक्षा मे पूर्ण ध्यान रखता अध्यापक द्वारा बोर्ड पर लिखी सभी बाते काफी हो जाती थी उन्हे घुमते हुई एक बार याद कर लेता मस्तिष्क मे सुरक्षित हो जाती थी । 
ज्यादा पढने की आवश्यकता नही पढती थी ।
भवानीसिंघ राठोड़ 'भावुक': आदरणीय मदनसिंह जी आप से मिलकर आज अच्छा लगा।आपकी साहित्य साधना निरंतर जारी रहे।मां वीणापाणि सदैव आप पर वरदहस्त रखें।आपने अल्पकालिक निवेदन को स्वीकार किया।आपका हार्दिक आभार।
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