नागौरः02मई।नुंवो राजस्थान न्यूज। परबतसर तहसील के ग्राम टापरवाड़ा मे स्थित भद्रकाली मन्दिर में 10 वां वार्षिकोत्सव बड़े हर्सोल्लास से मनाया गया। मां भद्रकाली बरणा जोशी,भारगिया तिवाड़ी,कश्यप,पांडेय गोत्र के पारिक ब्राह्मणों की कुलदेवी है।
दो दिवसीय इस वार्षिक आयोजन की पुर्व संध्या में मन्दिर प्रागण में विशाल रात्रि जागरण का आयोजन हुआ जिसमें दूर दराज से आये हुए भजन गायकों ने अपनी मधुर स्वरलहरियों में अपने भाव पुष्प माता के श्री चरणों में अर्पण किये। दूसरे दिन प्रातः मातेश्वरी का अभिषेक पूजन श्री भद्रकाली मन्दिर विकास समिति के अध्यक्ष पुर्व सरपंच जुगलकिशोर पारीक और राजेंद्र पारीक नींबड़ी ने किया। दोपहर में महाप्रसाद का वितरण हुआ।
इस अवसर पर बाहर गांवों से पधारे हुए समाज बन्धु नरेंद्रकुमार जोशी मेड़तासिटी, रामगोपाल पारीक उगरियावास जयपुर,कैलाश व्यास मांडल जोधा, ओमप्रकाश जी तिवाड़ी,भादवा नागौर, यशपालजी जोशी मेड़तासिटी,
शैलेषजी जोशी पुष्कर,दामोदरजी तिवाड़ी,अटपड़ा (सेलम)
कैलाशजी व्यास मांडलजोधा, रामदेव जोशी ईड़वा,रामनिवास जोशी पुष्कर,श्यामसुंदर राजेंद्र जी जोशी नींबड़ी,रामनिवास पारीक बाजोली,महीपालसिंह शेखावत महरोली सीकर सहित असंख्य श्रद्धालुओं ने मां भद्रकाली के दरबार में दर्शन किये।
श्री भद्रकाली नवयुवक मंडल के भवानीसिंह राठौड़,राधेश्याम जोशी,सुबेदार रूपसिंह राठौड़,श्रवणराम गोदारा,महावीर गोदारा, चतरपुरी गोस्वामी, विकास दाधीच, जेठमल जोशी,गजेंद्रसिंह राठौड़, विष्णुसिंह राठौड़,शिवराज सिंह राठौड़,आनन्दसिंह राठौड़, विक्रमसिंह राठौड़, बजरंगसिंह राजपुरोहित, कैलाश प्रजापत, दीपसिंह राठौड़, ने आगंतुक श्रद्धालुओं का स्वागत सत्कार किया।
भद्रकाली माता टापरवाड़ा का संक्षिप्त इतिहास
ग्राम टापरवाड़ा के उत्तर दिशा में छोटे से टीले पर प्राचीन मन्दिर है जिसमें लगी पुरा प्रतिमाएं जो औरंगजेब के समय खंडित की गई थी ।मां भद्रकाली की छठी शताब्दी में निर्मित काले पत्थर की प्रतिमा इस छोटे से मन्दिर में विराजमान है। विगत 31 वर्षों से श्री भद्रकाली विकास समिति और श्री भद्रकाली नवयुवक मंडल के अथक प्रयासों से इस मन्दिर का जीर्णोद्धार कराया गया तथा 02 मई 2012 को नव निर्मित इस विशाल मन्दिर में मां भगवती की पुनः प्राण प्रतिष्ठा की गई थी।
तब से लेकर आज तक प्रतिवर्ष इस स्थापना दिवस को वार्षिक उत्सव के रूप में मनाया जाता है। गत दो वर्षों में कोरोनाकाल की वजह से सरकारी गाइडलाइंस के पालनार्थ यह आयोजन स्थगित था।
भवानी साहब आप को लम्बे अरसे से देखरहा हू कि आप राजस्थानी भाषा, साहित्य, इतिहास को जन,जन तक पहुँचना व मायङ भाषा को मान्यता दिलवाने का अथक प्रयास, आप को नमन।
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