राजस्थानी भाषा की मान्यता के मुद्दे को लेकर भाषा प्रेमी करेगे नढढा का बहिष्कार
●जो भाषा की बात करेगा कही राजस्थान पर राज करेगा - भाटिया
● बीजेपी और कांग्रेस को धोबा भर भर धिरकार है , मायड़ भाषा के लिए दोनो ही बेकार है-स्वामी
सूरतगढः 09 मई ( मनोज ) आजादी के सात दशक बाद भी प्रदेश के लोगो को भाषाई आजादी नही मिलने से राजस्थानी भाषा प्रेमियों मे काफी आक्रोश है । सूरतगढ में भाजपा के राष्ट्रीय अघ्यक्ष जेपी नढढा के आगमन पर भाषा प्रेमियों ने नढढा के समारोह में शिरकत नही करने की घोषणा की है । स्थानीय भाटिया सदन मे आयोजित प्रेस वार्ता में अखिल भारतीय राजस्थानी भाषा मान्यता संघर्ष समिति के जिलाघ्यक्ष परसराम भाटिया व प्रदेश मंत्री मनोजकुमार स्वामी ने संयुक्त रूप से ये घोषणा की । उन्होंने कहा कि राजस्थान भारत का सबसे बड़ा राज्य है , लेकिन खेद इस बात का है कि यहां भौगोलिक आजादी तो है , लेकिन भाषाई आजादी नही है । भाषा मनुष्य की पहचान है । एक व्यक्ति को दूसरे से जोड़ने का माध्यम है । भाषा ही सांस्कृतिक विरासत की महत्वपूर्ण कड़ी है ।
राज्य सरकार द्वारा राजस्थानी को संवैधानिक मान्यता के लिए 25 अगस्त 2003 को सर्व सहमति से प्रस्ताव भेज दिया तो अब केन्द्र सरकार इसकी तरफ ध्यान क्यों नही दे रही है । क्यों करोड़ों राजस्थानियों को भाषाई आजादी से वंचित रखा जा रहा है ।
केन्द्र सरकार स्थानीय भाषाओ को बढावा देने का ढिंढोरा पीट रही है वही उसी भाजपा पार्टी के लम्पट मूर्ख जिन्हे भाषा विज्ञान की परिभाषा का पता नही वे हिन्दू - हिन्दी - हिन्दुस्तान का राग आलाप रहे है । क्या राजस्थान भारत देश मे नही है क्या करोड़ो राजस्थानियों को भाषाई अधिकार से वंचित रखा जाये । ये सब बाते देश को तोड़ने का काम कर रही है जोड़ने का नही l जब प्रधानमंत्री अपने गृह राज्य गुजरात जाते है वहां हिन्दी बोलने पर माफी मांगते है क्यों ? कारण उनकी मातृभाषा गुजराती भाषा है, तो फिर राजस्थानी की बात पर राजस्थान के लोगो के मुंह पर ताला क्यों लगा दिया गया है?
जब उनको अपनी मातृभाषा गुजराती इतनी प्रिय लगती है तो राजस्थानी से इतनी नफरत क्यों ?
हम हमारी मातृभाषा को कैसे छोड़ दे । अगर गुजराती अपनी मातृभाषा का त्याग नही कर सकते तो हम क्यों ?
भाषा किसी पर थोपी नही जाती है वह तो हर भारतीय का अधिकार है ।
शिक्षा नीति 2020 के अनुसार बालक की प्राथमिक शिक्षा उसकी मातृभाषा मे होनी चाहिए , राजस्थान के बालको के साथ भेदभाव क्यों ? उन्हे कब मिलेगी मातृभाषा राजस्थानी मे शिक्षा ?
वर्तमान मे भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया ,पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया तथा सांसदो ने प्रधानमंत्री और गृहमंत्री को राजस्थानी को संवैधानिक मान्यता बाबत पत्र लिख चुके है क्या इनके पत्रो की कोई अहमियत नही है l
तात्कालिक गृहमंत्री राजनाथसिंह ने 6 मई 2015 को अखिल भारतीय राजस्थानी भाषा संघर्ष समिति के प्रतिनिमंडल से मुलाकात कर वादा किया था कि आगामी मानसून सत्र मे राजस्थानी को संवैधानिक मान्यता दे दी जायेगी वो सत्र कब आयेगा ? जबकि इस बात को सात वर्ष का समय बीत चुका है । भाटिया ने कहा कि जिले के भाषा प्रेमी भाजपा के राष्ट्रीय अघ्यक्ष जेपी नढ्ढा का विरोध करते हुए उनके स्वागत मे भाग नही लेगें । प्रदेश मंत्री मनोज कुमार स्वामी ने कहा कि जो राजस्थानी भाषा की बात करेगा , वही प्रदेश पर राज करेगा । म्हारै मन में खोट नी , भाषा नी तो वोट नी । राजस्थान की धरती वो धरती जहां की बाळू मिट्टी ठण्डी होने पर लोरी के बगैर नींद आ जाती लेकिन गर्म होने पर चींटी को पैर नही रखने देती है । स्वामी ने कहा कि बीजेपी और कांग्रेस को धोबा भर भर धिरकार है , मायड़ भाषा के लिए दोनो ही बेकार है ।
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