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शनिवार, 17 जून 2023

कांग्रेसी बांट रहे हैं ’’जूतों में दाल’’

कांग्रेसी बांट रहे हैं ’’जूतों में दाल’’

आरोप-प्रत्यारोपों पर चढ़ी राजनीतिक स्वार्थ की परत, जमकर निपटा रहे हैं एक-दूसरे को
●सरकारी अधिकारी के कंधे पर बंदूक रखकर खूब साध रहे हैं निशाना 
●आपसी लड़ाई में कहीं तीसरा ही फायदा ना उठा ले जाए


अजमेरः17जून।प्रेम आनन्दकर।
राजस्थान में एक कहावत है ’’जूतों में दाल बंटना’’। भावार्थ यह है कि जब भी किसी परिवार या कुनबे में लड़ाई-झगड़ा होता है, तो अक्सर लोग यही कहते हैं कि इनके यहां तो जूतों में दाल बंट रही है। यानी घर-परिवार या कुनबे की लड़ाई सड़क पर आना, जगजाहिर करना। यह भी सत्य है कि जब घर की लड़ाई सड़क पर आती है, तो तमाशबीनों की भीड़ इकट्ठी हो जाती हैं। पहले तो लोग गंभीर मुद्रा में देखते हैं और फिर बाद में जमकर मजे लेते हैं, चटखारे लगा-लगाकर उसी लड़ाई की मजाक उड़ाते हैं यानी धज्जियां बिखेरते हैं। ऐसे में कुछ मौकापरस्त, लड़ाई कर रहे दोनों पक्षों को पहले तो समझाते हैं और फिर मौका देखकर फायदा उठाते हैं। ऐसा ही कुछ अजमेर की कांग्रेस पार्टी में हो रहा है। ’’जूतों में दाल बंटाई’’ के इस एपिसोड में कुछ दिन पहले एक दिन के सीएम बनाए गए राजस्थान पर्यटन विकास निगम के अध्यक्ष धर्मेंद्र सिंह राठौड़ पर्दे के पीछे से भूमिका निभा रहे हैं। घटनाक्रम ताजा है। कुछ दिन पहले राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के रीट सभागार में गांधी दर्शन समिति का कोई कार्यक्रम हो रहा था, जिसमें अजमेर ग्रामीण पंचायत समिति के विकास अधिकारी भी मौजूद थे। इधर कार्यक्रम हो रहा था और उधर पूर्व शिक्षा राज्यमंत्री व पुष्कर की पूर्व विधायक श्रीमती नसीम अख्तर इंसाफ अपने समर्थकों के साथ किसी काम से अजमेर ग्रामीण पंचायत समिति कार्यालय जा धमकीं। विकास अधिकारी को कार्यालय में नहीं पाकर आग-बबूला हुई श्रीमती इंसाफ ने रीट कार्यालय पहुंच कर विकास अधिकारी की ’क्लास’ लगा डाली। आरोप है कि श्रीमती इंसाफ, उनके पति इंसाफ अली व अन्य ने विकास अधिकारी से अभद्र व्यवहार किया। बस यहीं से जूतों में दाल बंटने का दौर तेजी से शुरू हो गया। अब चूंकि राठौड़ पुष्कर और अजमेर उत्तर विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ने की आस लगाए हुए हैं, ऐसे में मौके की तलाश में बैठे राठौड़ ने विकास अधिकारी के कंधे का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया। विकास अधिकारी ने श्रीमती इंसाफ, उनके पति इंसाफ अली व अन्य के खिलाफ क्रिश्चियन गंज थाने में मुकदमा दर्ज करा दिया, जिसमें राजकार्य में बाधा पहुंचाने और सरकारी अधिकारी से ड्यूटी के दौरान बदतमीजी करने का आरोप लगाया गया है। मुकदमा दर्ज होते ही मामला बढ़ने लग गया। श्रीमती इंसाफ के समर्थन में अजमेर सहित प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में मुस्लिम समाज के विभिन्न वर्गों ने प्रदर्शन कर जिला कलेक्टरों, उपखंड अधिकारियों, तहसीलदारों को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन देना शुरू कर दिया है। इधर, अजमेर में पूर्व उप मुख्यमंत्री व प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष सचिन पायलट खेमे के कांग्रेसियों ने भी कलेक्ट्रेट पर प्रदर्शन कर जिला कलेक्टर को ज्ञापन दिया। इन कांग्रेसियों का आरोप है कि राठौड़ के इशारे पर ही विकास अधिकारी ने श्रीमती इंसाफ सहित उनके पति व अन्यों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया है। इस प्रदर्शन में अजमेर उत्तर से विधानसभा चुनाव लड़ चुके महेंद्रसिंह रलावता, अजमेर दक्षिण से चुनाव लड़ चुके हेमंत भाटी, शहर कांग्रेस के निवर्तमान अध्यक्ष विजय जैन सहित अनेकों कांग्रेसी शामिल थे। बात यहीं खत्म नहीं हुई। अब मुख्यमंत्री अशोक गहलोत खेमे के पूर्व विधायक डॉ. श्रीगोपाल बाहेती, पूर्व विधायक डॉ. राजकुमार जयपाल, अजमेर डेयरी के अध्यक्ष रामचंद्र चौधारी सहित अनेक कांग्रेसियों ने प्रेस कॉन्फें्रस कर श्रीमती इंसाफ, उनके पति इंसाफ अली आदि पर अनेक गंभीर आरोप जड़ दिए। डॉ. बाहेती का तो यह भी कहना है कि श्रीमती इंसाफ ने उनसे भी अभद्रता की थी, लेकिन उन्होंने मुकदमा दर्ज नहीं कराया था। डेयरी अध्यक्ष चौधरी ने तो इंसाफ अली के पास दो हजार करोड़ की संपत्ति होने की जांच भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो से कराने की मांग कर सबको चौंका दिया है। अभी पिक्चर बाकी है। वैसे राजस्थान में गहलोत-पायलट खेमों में बंटी कांग्रेस का बंटाधार होता जा रहा है। इस लड़ाई में इन खेमों की टसल के साथ-साथ इस साल नवंबर-दिसंबर में होने वाले विधानसभा चुनाव में टिकट की लड़ाई भी है। कितने आश्चर्य की बात है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत तो कांग्रेस की सरकार फिर से लाने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा रहे हैं और अजमेर में कांग्रेसी आपस में ही लड़कर अपनी पार्टी की लुटिया डुबो रहे हैं। इस लड़ाई में असल पिक्चर तो यही है कि सरकारी अधिकारी का कंधा इस्तेमाल हो रहा है, जिस पर रखी हुई बंदूक राठौड़ की है, जिसे दूसरे ही चला रहे हैं। अब आप लोगों ने दो की लड़ाई में तीसरे के फायदा उठाने वाली कहावत भी सुनी होगी। इन लड़ने वालों को कुछ हाथ लगे या नहीं, यह तो बाद की बात है, लेकिन इनकी लड़ाई का राठौड़ मजा ले रहे हैं और मौका मिलते ही फायदा भी उठाएंगे। अभी तो देखते जाओ, कितने जूतों में कितनी दाल बंटती है। इस दाल का स्वाद भी यही कांग्रेसी चखेंगे।

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