Chandalal Chakwala, member of Central Sahitya Akademi, Delhi, honored
बूढा़दीत दि. 07.05.2023
स्थानीय सूर्य मंदिर परिसर में रविवार को मायड़ भाषा साहित्य सिरजण मंच बूढादीत की ओर से केन्द्रीय साहित्य अकादमी नई दिल्ली की राजस्थानी भाषा सलाहकार समिति के सदस्य श्री चंदालाल चकवाला को 'लोक साहित्य सम्मान' से सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम का शुभारंभ सरस्वती के सम्मुख अतिथियों द्वारा दीप प्रज्ज्वलन के साथ हुआ। सरस्वती वंदना कवि रामभरोस नागर धूलेट ने सस्वर की।
समारोह की अध्यक्षता सेवानिवृत्त प्रशासनिक अधिकारी एवं वरिष्ठ साहित्यकार श्री नरेन्द्रनाथ चतुर्वेदी ने की। मुख्य अतिथि श्री चंदालाल चकवाला, विशिष्ट अतिथि श्री जगदीश भारती,श्री जोधराज परिहार मधुकर, श्री साहेब बूढादीत एवं श्री रमेशचंद्र जी शर्मा थे।
कार्यक्रम का सफल एवं प्रभावी संचालन प्रखर कवि श्री कुलदीप विद्यार्थी ने किया।
साहित्य अकादमी नई दिल्ली की राजस्थानी भाषा सलाहकार समिति के सदस्य श्री चंदालाल चकवाला का सम्मान स्थानीय मंच द्वारा शाल,श्रीफल,मान पत्र एवं साफा पहना कर किया गया।साथ ही स्थानीय मंच द्वारा वरिष्ठ साहित्यकार श्री नरेन्द्र नाथ चतुर्वेदी जी का भी सम्मान किया गया।साथ ही युवा रचनाकार अरविंद खंगार को भी सम्मानित किया गया।
सम्मान पत्र श्री देवकी दर्पण द्वारा पढ़ा गया। श्री चकवाला ने अपने सम्बोधन में कहा कि राजस्थानी भाषा की मान्यता के लिए वे लम्बे समय से आन्दोलन कर रहे हैं। बहुत जल्द राजस्थानी को मान्यता मिलेगी। साथ ही यह भी कहा कि राजस्थानी के गांवों के रचनाकारों को आगे बढ़ने के अवसर मिलने ही चाहिए। अध्यक्षीय भाषण में श्री चतुर्वेदी जी ने कहा कि बोली अपने अंचल की पहचान होती है। हाड़ौती बोली की विशेष पहचान है।इसकी सरंक्षा भी आवश्यक है। सी एल सांखला एवं आर सी आदित्य द्वारा सवागत उद्बोधन एवं मंच का संक्षिप्त परिचय प्रस्तुत किया गया।
उपस्थित साहित्यकारों, रचनाकारों में श्री श्री चौथमल प्रजापति,जगदीश भारती,जोधराज परिहार, कुलदीप विद्यार्थी,महावीर जंगम,रामस्वरूप रावत,सत्यप्रकाश गौतम,मुकुट बिहारी मीणा, नाथूलाल निर्भय,ओम प्रकाश केवट,मुकेश गौतम, अरविंद खंगार,पप्पू मेघ,सौभागमल वैष्णव,दुष्यंत,मनीष मेहरा,पुष्करराज चौधरी,पवन परिहार, सोनू प्रजापति इत्यादि प्रमुख थे।
सम्मान समारोह के बाद काव्य गोष्ठी आयोजित की गई। जिसमें देश,समाज,संस्कृति पर शानदार रचनाएं कवियों द्वारा प्रस्तुत की गई।
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