आयकर पर लिखी राजस्थानी पुस्तक ‘आवकलाग अर लागदेणार’ का विमोचन
700 पृष्ठों में लिखी आयकर पर पहली राजस्थानी किताब
हनुमानगढ़/मुंबई
आयकर पर लिखी पहली राजस्थानी पुस्तक का लोकार्पण दक्षिण मुंबई स्थित अवसर सभागृह में हुआ। मुख्य अतिथि गुजरात व तमिलनाडु के पूर्व चीफ जस्टिस न्यायमूर्ति डॉ. विनीत कोठारी थे। पुस्तक की 11 हजार प्रतियां बुक हो चुकी हैं। कराधान संबंधी जारी हुई किताबों में पहले ही दिन इतनी प्रतियों का आदेश पाकर “आवकलाग अर लागदेणार पुस्तक” ने नया कीर्तिमान बनाया है। न्यायमूर्ति कोठारी ने कहा कि राजस्थानी को संविधान की आठवीं अनुसूची में स्थान मिलना चाहिए और अन्य प्रांतीय भाषाओं की तरह उसका भी सम्मान होना चाहिए।
पुस्तक के लेखक श्री राजेन्द्र ने हरीश हैरी को बताया कि भारत का इनकम टैक्स बहुत ही जटिल विषय है जिस पर अंग्रेजी में ही पुस्तकें मिलती हैं। उन्होंने इस विषय पर ठेट राजस्थानी में लिखकर यह साबित किया है कि राजस्थानी में हर विषय पर लिखा जा सकता है। अंतरिक्ष, चिकित्सा, इंजीनियरिंग आदि विषयों पर भी लिखा जा सकता है। यह पुस्तक राजस्थानी की क्षमता का प्रमाण है और आयकर लेखन इतिहास में यह दिन हमेशा याद रखा जाएगा। इस तथ्य के मद्देनजर की आजादी के 75 वर्ष पश्चात आयकर पर राजस्थानी में पहली पुस्तक लिखी गई है। न्यायमूर्ति कोठारी ने कहा कि वे इस पुस्तक की प्रतियां अपनी टिप्पणी के साथ राजस्थान के न्यायाधीशों और आयकर अभिभाषकों को भेजेंगे। लगभग 700 पृष्ठों वाली इस पुस्तक में आयकर से संबंधित सभी मुख्य विषयों मसलन, आय के शीर्ष, करमुक्त आय और कटौतियां, अन्तर्राष्ट्रीय कराधान और मूल्य अन्तरण, जुर्माने और अभियोजन, तलाशी-जब्ती और सर्वेक्षण, कर निर्धारण और प्रतिदाय जैसे सभी विषयों को शामिल किया गया है। पुस्तक के लेखक राजेन्द्र, भूतपूर्व सदस्य आयकर अपीलीय अधिकरण मुबंई भारतीय राजस्व सेवा के अधिकारी हैं। उन्होंने कहा कि लगभग दो लाख शब्दों के शब्दकोश वाली पुस्तक राजस्थानी की क्षमता, प्रभावशीलता और सामर्थ्य का सबूत है। उन्होंने आने वाले समय में अन्य विषयों जैसे जीएसटी पर भी राजस्थानी पुस्तकें प्रकाशित करने का भरोसा दिलाया ताकि आम आदमी राजस्थानी से जुड़ सके। इस अवसर पर मुंबई उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश विजय एल आंचलिया, पूर्व मंत्री राज के पुरोहित,आई टी ए टी सदस्य प्रशान्त महर्षि, फिल्म अभिनेता राहुलसिंह, कस्टम कमिश्नर अशोक कोठारी तथा आयकर, कस्टम और रेल विभाग के वरिष्ठ अधिकारी, डॉक्टर, सी.ए, अभिभाषक, उद्योगपति, व्यापारी और बड़ी संख्या में राजस्थानी भाषा प्रेमी उपस्थित रहे।
राजस्थानी के लिए ये ऐतिहासिक काम है :-
लम्बे समय से तथ्यों, डाटा और जमीनी काम करके राजस्थानी आंदोलन को मजबूत करने वाले युवाओं ने इस पर खुशी का इजहार किया। बदळ्यो बदळ्यो राजस्थान के अम्बरीशवर्धन, कुलदीप राजपुरोहित, भाव्यांश मेवाड़, कुंवर जयंतसिंह राघव, हनवंतसिंह राजपुरोहित लंदन, गोपाल जोशी, आपणो राजस्थान आपणी राजस्थानी के हरीश हैरी, गोपाल मारवाड़ी, अनुज गोदारा, सुनील सिधू आदि ने इस काम को एतिहासिक बताया। राजस्थानी अब कविता, कहानी तक सीमित ना होकर व्यापक होगी तभी राजस्थानी को मान्यता मिलेगी।
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