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सोमवार, 20 फ़रवरी 2023

मायड़भाषा राजस्थानी भाषा री मानता अर जगत मातृभाषा दिवस

मायड़भाषा राजस्थानी भाषा री मानता अर जगत मातृभाषा दिवस 


●आपणो राजस्थान आपणी राजस्थानी



आज इण लेख में बात करस्यां कै राजस्थानी भासा नै मानता क्यूं मिलणी चाईजै? राजस्थानी भासा इण री हकदार क्यूं है? राजस्थानी भासा नै मानता देवण री मांग 90 बरसां सूं चाल री है। राजस्थानी भासा घणी जूनी अर सिमरध है। हिन्दुस्तान रै सै सूं बडै प्रदेश राजस्थान री भासा नै मानता नी होवणो घणै दुख री बात है। महाराणा प्रताप, तेजोजी, पन्ना धाय, काळीबाई, मीरां, जाम्भोजी, देवनारायणजी, अमरिता देवी, दुर्गादास राठौड़,भगत धना जाट, माता पद्मावती, हाडी राणी, रामदेवजी आद सापुरसां री मायड़ भासा राजस्थानी ई है। वीर, संत, वीरांगनावां, लोक देवी देवतावां की भासा राजस्थानी ई रई है। जैन साहित्य, चारण साहित्य, संत साहित्य अर मध्यकाल तो सगळो राजस्थानी में ई है।

जनगणना 2011 में लगैटगै 5 करोड़ लोगां आपरी मायड़ भासा राजस्थानी लिखवाई। दुनिया में 16 करोड़ सूं जादा लोग राजस्थानी भासा बोलै। राजस्थान, मध्य भारत, गुजरात, पंजाब, हरियाणा, पाकिस्तान, नेपाल, कोलकाता अर बारला देसां में घणै चाव अर कोड सूं राजस्थानी भासा बरतीजै। संविधान री मानता मिलयोड़ी 22 भासावां में राजस्थानी 17 भासावां सूं बडी है। गाम-गाम अर घर-घर राजस्थानी बोलीजै।

राजस्थानी भासा रो व्याकरण अपणै आप में सिमरध है। कई अंलकार अर छंद इसा है जका दूसरी भासावां में कोनी मिलै। गीत छंद रा 100 सूं जादा भेद है। 60 भांत रा सबदकोश है। पद्म श्री सीताराम लाळस रो राजस्थानी सबदकोश दुनिया रो सै सूं बडो सबदकोश है। अब ओ सबदकोश डिजिटल होग्यो है। अबे आप इंटरनेट पर कोई बी राजस्थानी सबद ढूंढ सको। राजस्थानी री आपरी लिपि है जकी पुराणा ग्रंथां में लिखेड़ी है। आजकल हिंदी नै सिमरध करण सारू राजस्थानी देवनागरी में ई लिखिजै। राजस्थानी रा 4 लाख हाथ सूं लिखेड़ा ग्रंथ राजस्थान प्राच्य विद्या प्रतिष्ठान अर निजू संग्रहालयां में पड़या है। राजस्थानी री कई पांडुलिपियां मुंबई, गुजरात, इंडिया ऑफिस लाइब्रेरी लंदन, कैंब्रिज, जापान में बी पड़ी है। अमेरिकन कांग्रेस ऑफ लाइब्रेरी राजस्थानी नै जगत री 13 सिमरध भासावां में अेक मानै। केंद्रीय साहित्य अकादमी 1974 सूं राजस्थानी में 4 बडा ईनाम देवै। राजस्थानी अठै अंग्रेजी रै अलावा अेकली भासा है जकी आठमी पानड़ी में भेळी कोनी फेर बी अकादमी इण नै मानता दे राखा है। राजस्थानी भाषा साहित्य अर संस्कृति अकादमी बीकानेर 1982 सूं राजस्थानी नै मानता दे राखी है। 11 वीं सूं लेय'र B.A.,M.A., नेट, स्लेट, जेआरअेफ, पीअेचडी, बी. अेड. राजस्थानी में कर सकां।  UGC इण नै मानता देवै। राजस्थानी में शोध करणवाळा नै हरेक महीनै हजारूं रीपीया वजीफो देवै।

नेपाल री संसद राजस्थानी नै मानता दे राखी है। अमरिका में राजस्थानी भासा जगतपोसाळ में भणाईजै। शिकागो, मास्को, कैम्ब्रिज जिसी नामी जगतपोसाळ समेत दुनिया रा अलेखूं जगतपोसाळां में राजस्थानी भणाईजै। अमेरिका में राजस्थानी भासा नै सिमरध अर गौरवशाली मान'र राजस्थानी कवि कन्हैयालाल सेठिया री कवितावां री 1 घंटै री रिकॉर्डिंग करी। अेक अेक सबद रा 500 पर्यायवाची राजस्थानी भासा में ई मिलै।

विदेशी भासा वैग्यानिक अठै भोत काम करयो। आं लोगां राजस्थानी ग्रंथां रो संरक्षण अर संपादन करयो। जॉर्ज ग्रियर्सन लिंग्विस्टिक सर्वे ऑफ इंडिया इंडिया में, इटली रा भासा वैग्यानिक डॉ अेल पी टैस्सीतोरी इंडियन एंटीक्यूवेरी में, डॉ सुनीतिकुमार चटर्जी पुरानी राजस्थानी में राजस्थानी नै सै सूं जादा सिमरध भासा मानी है। अकबर आप रै टैम में अलेखूं फारसी ग्रंथां रा अनुवाद राजस्थानी में करवाया। तुळछीदास सूं 60 बरस पैलां मेहोजी गोदारा राजस्थानी में रमायण री रचना करी। अंग्रेजां रै टैम राजस्थानी भासा रो ग्यान होवणो घणो जरूरी हो। 1901 में अंग्रेजां रै गजेटीयर में लिखेड़ो है कै जे थानै राजस्थानी ना आवै तो थे अठै री बैंकिंग अर अर्थव्यवस्था नै समज ई कोनी सको। इण सारू अंग्रेज पैलां राजस्थानी री ट्रेनिंग लेवंता।

रिजर्व बैंक अर upsc री अनापत्ति मिलेड़ी है। सरकार री गठित कमेटी राजस्थानी नै मानता री हकदार मानै।  21 फरवरी 1925 में जय नारायण व्यास तरूण राजस्थान अखबार में राजस्थानी रो शंखनाद करयो। आंदोलन पर अेक लाम्बो लेख लिख्यो जा सकै। राजस्थानी री 7 खास बोलीयां ई है मारवाड़ी, मेवाड़ी, बागड़ी, वागड़ी, हाड़ौती, ढुंढाड़ी, मालवी आद। 72 बोलीयां री बात बारलां लोगां री रचेड़ी साजिश है। राजस्थानी नै खत्म करण री भोत बडी साजिश 1950 सूं ई सरू होगी। इण पर कदी फेर बात करस्यां।

 टेलीविजन,रेडियो, फेसबुक आद पर भोत सारा कार्यक्रम राजस्थानी में ई आवै। लोगां राजस्थानी नै बरत्यूं री भासा बणार खुद मानता दे राखी है। कॉमेडी, भजन, गीत, फिल्म आद हरेक जग्यां राजस्थानी कलाकारां धूम मचा राखी है। कम्पनीयां री रिंगटोन राजस्थानी में ई सुण सको। सोसल मीडिया पर राजस्थानी रा हजारूं लोकचावा चैनल चालै। राजस्थानी रो इतिहास 8 वीं सईकै सूं मानीजै। राजस्थानी में गद्य 30 अर पद्य 60 भांत सूं बी जादा रूपां में लिखिजै। कवि उद्योतन सूरी 8 वीं सईकै में कुवलयमाल कथा संग्रह री रचना करी।

21 फरवरी 2018 नै जोधपुर उच्च न्यायालय में मायड़ भासा राजस्थानी नै सनमान देवण सारू जिरह राजस्थानी में ई करी।  राजस्थानी रो लोकचावो नाच घूमर दुनिया रै टॉप 10 में भेळो है। UNO कालबेलिया नाच ने विश्व विरासत घोसित करयो है। नोबेल पुरस्कार सूं सम्मानित गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर केयो कै मैं गीतांजली लिख सकूं पण डिंगळ रा दूहा सरीखी रचना कदेई कोनी कर सकूं। 

बात रो निचोड़ ओ ई है कै राजस्थानी नै खत्म करण री साजिश खूब चालती आई है पण राजस्थान में तो राजस्थानी ई चालसी, रुकै तो रोक ल्यो। आपणो राजस्थान आपणी राजस्थानी।


—राजस्थानी भीरी हरीश हैरी
बहलोलनगर, हड़मानगढ

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