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रविवार, 26 फ़रवरी 2023

डॉ. गजादान चारण नै मिल्यो पद्मश्री दुलाभाया काग लोकसाहित्य एवार्ड-पवन पहाड़िया



डॉ. गजादान चारण नै मिल्यो पद्मश्री दुलाभाया काग लोकसाहित्य एवार्ड-पवन पहाड़िया

कागधाम-सौराष्ट्र में आयोजित समारोह में मोरारी बापू रै हाथां मिल्यो ओ सम्मान


नागौरः 26 फरवरी।
राजस्थानी भाषा रा कवि, निबंधकार, अनुवादक अर समालोचक डॉ. गजादान चारण नै उणारा साहित्यिक-सिरजण अर  वाचिक-काव्य-परंपरा नै लोक हितेषणा रै सागै प्रस्तुत कर'र श्रुतिकाव्य शैली नै एक पीढ़ी सूं दूसरी पीढ़ी ताणी पूगावण सारु लूंठी भूमिका निभावण सारु  काग-ट्रस्ट अर चित्रकूट धाम-ट्रस्ट महुआ कांनी सूं  राष्ट्रीय स्तर रो पद्मश्री दुलाभाया काग लोकसाहित्य एवार्ड, 2023 सूं पुरस्कृत करीज्यो। लोकपूज्य संत मोरारी बापू रा करकमलों सूं दिरीज्या इण पुरस्कार में डॉ. चारण नै 51000 रिप्या, अभिनंदन पत्र, स्मृतिचिह्न, शॉल आदि सूं सम्मानित कर्या। 
डॉ. गजादान चारण आपरा  उद्बोधन में राजस्थान अर गुजरात नै मां जाया भाई बताता तका कह्यो,"  राजस्थानी अर गुजराती भाषावां मां जाई बैनां है , राजस्थानी मोटी बैन है। राजस्थानी री डिंगल काव्य परंपरा, जिणने चारणी साहित्य परंपरा री संज्ञा सूं औळखै, ने धरती, धरम अर धन्या री रक्षा निस्वार्थ मरण रा वरण री रीति नै लगोलग अंवेरी। जीवन मूल्यां री  रक्षा, वचन प्रतिपालन, शरणागत वत्सल, नशा निवारण, प्रकृति प्रेम, जीवदया अर मानवता रा मूळ मंत्र नै संस्कार रूप में एक-एक दिल में जीवतो राखण आळी राजस्थानी भाषा रो साहित्य युगबोध सूं भरियोड़ो हुवण रै सागै इज  नीति अर लोक व्यवहार री अणमोल मिणियाँ है।
डॉ. चारण कह्यो कै म्हाणी मातृ भाषा राजस्थानी नै ना संविधान री आठवीं अनुसूची मे मानता है अर नीं ही   राज्य सरकार री। म्हे तो राजनीतिक रूप सूं स्वतंत्र हुवण रै  बावजूद भाषिक रूप सूं परतंत्र हां। म्हाणी हजारुं बरसां री साहित्यिक थाती इण भाषा में है। लाखूं पांडुलिप्यां पूजा रा लाल कपड़ां में बंधी पड़ी है। 16 वीं शदी ताणी राजस्थानी अर गुजराती रो साहित्य एक ही है। भाषा विज्ञान री दीठ सूं राजस्थानी भाषा गुजराती री मोटी बैन  है। इण नाता सूं सगळा गुजराती भाषा भाषी लोग राजस्थानी रा भाण्या-भाणक्यां हैं। बीं रिश्ता सूं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह जी अर पूज्यसन्त मोरारी बापू सूं राजस्थानी रो आत्मीय रिश्तो है । डॉ. चारण मोरारी बापू सूं अरज करी कै वे राजस्थानी री संवैधानिक मान्यता सारु केंद्र सरकार नै आपरी संस्तुति भिजवायर आपरी आसीस देवै। 
पुरस्कार समारोह रा सारस्वत अतिथि अर लोकपूज्य संत मोरारी बापू आपरा   उद्बोधन में पद्मश्री दुलाभाया काग रा लोकतत्व, परंपरा-पोषण, भक्ति, नीति अर जीवनबोध नै  उल्लेखनीय अर उपादेय बताता थका पुरस्कार लैवण आळा  पांचूं साहित्यकारां नै बधाई अर साधुवाद दिया। बै कह्यो," जकी मीरां री भाषा है, जकी बारहठ ईसरदास जिस्या अनेकूं भक्त कवियां री भाषा है, जकी महाराणा प्रताप री भाषा है, बा राजस्थानी म्हारी  प्रिय भाषा है। मोरारी बापू आपरा  उद्बोधन में राजस्थानी री मान्यता सारु  सकारात्मक सहयोग देवण रो भरोसो दिरायो। 
अखिल भारतीय राजस्थानी भाषा मान्यता संघर्ष समिति रा अंतरराष्ट्रीय संघटक श्रो लक्ष्मण दान कविया, संघर्ष समिति के प्रदेश प्रवक्ता डॉ. गजादान चारण, राजस्थानी मोट्यार परिषद रा प्रदेश महामंत्री प्रहलादसिंह झोरड़ा, राजस्थानी युवा समिति रा प्रदेश प्रवक्ता छैलू चारण छैल, संघर्ष समिति रा जिला पाली संगठन मंत्री अमरसिंह आसिया, मोट्यार परिषद नागौर रा मंत्री फत्तूराम छाबा ने संत मोरारी बापू नै लिखित ज्ञापन देय'र केंद्र सरकार नै आपरी अनुशंसा  भिजावण सारु अरज करी। 
पुरस्कार समारोह में कागट्रस्ट रा अध्यक्ष डॉ. बलवंत जानी, साहित्यकार प्रोफेसर अंबादान रोहड़िया, साहित्य मर्मज्ञ बलवंत भाई गढ़वी, इशुदान भाई गढ़वी, हरेश गढ़वी, नीलेश पंड्या, लाखण सिंह गढ़वी, यशवंत गढ़वी, बाबूदान गढ़वी, जयदेव गढ़वी सहित भाषा, साहित्य अर संस्कृति सूं जुड़्या  हजारुं  लोगां री मौजूदगी ही।
राजस्थानी भाषा मान्यता संघर्ष समिति रा अंतरराष्ट्रीय संघटक श्री लक्ष्मण दान कविया हरख दरसावता कह्या कै," डॉ. गजादान चारण नै गुजरात मे मोरारी बाबू रा करकमलों सूं पुरस्कृत हुवणो राजस्थानी भाषा रो सम्मान है।"
संघर्ष समिति रा संभागीय महामंत्री पवन पहाड़िया  डॉ चारण नै बधाई देता थका कह्यो," ओ पुरस्कार राजस्थान रा वाचिक साहित्य रो सम्मान है।"

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