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गुरुवार, 26 अगस्त 2021

कवियत्री श्रीमती इंद्राणी साहू 'साँची' से साहित्यिक वार्तालाप। भवानीसिंह राठौड़ 'भावुक'

कवियत्री श्रीमती इंद्राणी साहू 'साँची' 
से  साहित्यिक वार्तालाप। भवानीसिंह राठौड़ 'भावुक'
परिचय
नाम - इन्द्राणी साहू "साँची"
जन्म तिथि  - 4 अप्रैल
पति का नाम - श्री दुर्गा प्रसाद साहू
निवास - भाटापारा( छत्तीसगढ़)
शिक्षा - बी. एड. ,
 एम.ए. -1- हिंदी साहित्य , 2 - संस्कृत , 3 - अर्थशास्त्र । एल .एल .बी. ।                      
व्यवसाय - शिक्षक (प्रधान पाठक )           
लेखन विधा -
विविध छंद , दोहा , रोला , सोरठा , कुण्डलिया ,चौपाई ,  गीत , ग़जल ,नवगीत , मुक्तक , छत्तीसगढ़ी गीत आदि ।
साहित्यिक यात्रा -
प्रकाशित -      
       विविध विषयों पर 2000 दोहों का एकल संग्रह प्रकाशित ।    
 दोहा साझा संकलन , कुण्डलिया साझा , गीत साझा , मेरी धरती मेरा गाँव साझा , काव्य लीला, राम मय, प्रेममय साझा संकलन , वृक्षारोपण साझा संकलन , नवगीत साझा संकलन और 20 अन्य साझा संकलन ।
254 प्रकार के छंदों का एकल छंद संग्रह प्रकाशनाधीन*
सम्मान -
           विविध साहित्यिक मंच में श्रेष्ठ सृजन    सम्मान प्रमाणपत्र सहित , दोहा विशारद सम्मान, दोहा रत्न , कलमवीर , कलम योद्धा , दोहा शतकवीर , सोरठा शतकवीर , कुण्डलिया शतकवीर , नवगीत शतकवीर , श्रेष्ठ रचनाकार ,  उत्कृष्ट सृजनकार , साहित्य पुरोधा , कलम की सुगंध काव्यांजलि , बहुमान , काव्य श्री , हिंदी सेवी सम्मान एवं अन्य विविध सम्मान । 
विशेष- शिक्षा के क्षेत्र में विशिष्ट योगदान के लिए शिक्षा दूत सम्मान ।सत्र-2017-18 में ।
          उत्कृष्ट शिक्षक सम्मान ।
मो.न. - 8251853898
Email - indranisahu4472@gmail.com
पोस्टल एड्रेस :- श्रीमती इंद्राणी साहू 
भारतीय स्टेट बैंक के पीछे
सुभाष वार्ड - भाटापारा 
जिला -बलौदाबाजार-भाटापारा (छ. ग.),
 पिन 493 118 
मो.न. - 8251853898
____________________________________
कवियत्री इंद्राणी साहू 'साँची': आप सभी सम्माननीय साहित्यकार साथियों को मेरा सादर चरण वंदन।
शिवराजसिंह चौहान: सुस्वागतम, आपको लेखन की प्रेरणा कब, किससे और कैसे मिली ?
कवियत्री इंद्राणी साहू 'साँची': विद्यार्थी जीवन से ही मेरा रुझान लेखन के प्रति रहा, हिंदी साहित्य की विद्यार्थी होने के कारण सूरदास जी, कबीरदास जी, तुलसीदास जी और हिंदी साहित्य के मूर्धन्य साहित्यकारों की रचनाओं ने मुझे बहुत अधिक प्रभावित किया । उन्हीं की अमूल्य रचनाओं ने मुझे भी काव्य लेखन के लिए प्रेरित किया।

गोपाल साहिल: मैं एक नवोदित रचनाकार हूँ, कृपया नवोदित रचनाकारों के लिए कुछ उपयोगी टिप्स, आपके अनुसार क्या-क्या होने चाहिए।
कवियत्री इंद्राणी साहू 'साँची': एक नवोदित रचनाकार के लिए सबसे अधिक आवश्यक है कि वह अधिक से अधिक स्वाध्याय करे । अन्य रचनाकारों की रचनाओं को अधिक से अधिक पढ़े ,उस पर चिंतन मनन करे ।
साहित्य साधना माँगता है , तो धैर्य का दामन पकड़ कर छोटे-छोटे परन्तु सार्थक सृजन से प्रारंभ करते हुए आगे बढ़े।
 नीलू मेहरा : नमस्कार! क्या आप की पारिवारिक पृष्ठभूमि में कोई लेखन में था?
 कवियत्री इंद्राणी साहू 'साँची': जी नहीं, मेरी पारिवारिक पृष्ठभूमि पूर्ण रूपेण शिक्षकीय कार्य से जुड़ी हुई है । परिवार में सभी शिक्षक वर्ग से हैं।
शिवराज सिंह चौहान: आदरणीया, कृपया पटल को अपने परिवार से भी  परीचित कराने की कृपा करें। (पारिवारिक परिचय)...  
कवियत्री इंद्राणी साहू 'साँची': जी मेरे पापाजी रिटायर्ड शिक्षक हैं, ससुर जी भी शिक्षक थे, सासु माँ भी रिटायर्ड शिक्षिका हैं जो मेरे साथ ही रहती हैं । मेरे परम प्रिय पतिदेव जी व्याख्याता हैं । मैं प्रधान पाठिका हूँ । मेरी बेटी हैदराबाद में इंजीनियर है । बेटा बैंगलोर में सॉफ्टवेयर इंजीनियर है । मेरे ननद नंदोई, देवर देवरानी, भाई, बहन सभी शिक्षक हैं
शिवराज सिंह चौहान: माँ सरस्वती की मायके व ससुराल पर फुल कृपा वर्षा।
 मदनसिंघ शेखावत: अति सुन्दर उच्च शिक्षित कवयित्री व चारो तरफ शिक्षा का विस्तृत माहौल। कृपया अपने बहुमूल्य समय मे से कुछ समय नियमित रूप से इस पटल को दे तो हम लोगो पर उपकार होगा।

भवानीसिंघ राठोड़ 'भावुक'': आपकी प्रतिनिधि रचना प्रेषित कीजिए।
 कवियत्री इंद्राणी साहू 'साँची': ख़ामोश शहर
विधा - ग़जल
बहर ~ 212 212 1222
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आदमी ढूँढता ठिकाना है ।
आज दहशत भरा जमाना है ।।

आज ख़ामोश है शहर सारा।
हर तऱफ ज़ुल्म का फ़साना है ।।

कहकहे गूँजते नहीं अब तो ।
सिर्फ खामोशियों का ताना है ।।

खून से हो रही धरा घायल ।
आदमी मौत का निशाना है ।।

मतलबी लोग हो रहे सारे ।
प्यार तो सिर्फ इक बहाना है ।।

चाँद तारों भरी नहीं रातें ।
तीरगी से भरा वीराना है ।।

हादसे रोज़ ही डराते हैं ।
आज क़िस्सा सुकूँ पुराना है ।।

होश इंसान अब दिखाओ तो ।
दर्द को दूर सब भगाना है ।।

रोशनी हो भले न शम्मा की ।
आस का दीप इक जलाना है ।।

कंठ तो चीख से हुए घायल ।
प्यार का गीत गुनगुनाना है ।।

चुन चलें शूल सब की राहों से ।
प्यार का पुष्प ही बिछाना है ।।

छोड़ दो राह ज़ुल्म की "साँची" ।
जिंदगी को अगर बचाना है ।।

     इन्द्राणी साहू"साँची"
    भाटापारा (छत्तीसगढ़)
भवानीसिंघ राठोड़ 'भावुक': पटल पर संचालित साहित्यिक गतिविधियों में सुधार हेतु आपके सुझाव?
कवियत्री इंद्राणी साहू 'साँची': पटल पर बहुत ही व्यवस्थित और उत्तम साहित्यिक गतिविधियाँ संचालित है, सभी साप्ताहिक समीक्षक यथासंभव अपना पूर्ण योगदान दे रहे हैं । आदरणीय विज्ञ भैया जी का शानदार संचालन और मार्गदर्शन है, इस पर पूर्ण मनोयोग से सृजन करें तो शानदार उपलब्धि को प्राप्त कर सकते हैं ।
भवानीसिंघ राठोड़ 'भावुक': आपका मनपसंद छंद कौनसा है?
आपका मनपसंद रंग कौनसा है?
सृजन हेतु आपका मनचाहा विषय कौनसा है?
कवियत्री इंद्राणी साहू 'साँची': मेरा मनपसंद छ्न्द सवैया है ।
मनपसंद रंग नीला और गुलाबी
मनचाहा विषय दर्शन
कवि बृजमोहन गौड़: और आपका मनपसंद रस कौनसा हैॽ
कवियत्री इंद्राणी साहू 'साँची': मेरा मनपसंद रस शांत रस है
कवि बृजमोहन गौड़: वर्तमान समयकाल अनुसार आप किस तरह के सृजन को आज आवश्यक मानती है.
कवियत्री इंद्राणी साहू 'साँची': तार्किक और संदेशप्रद सृजन ।
 मदनसिंघ शेखावत: पटल के सभी उपस्थित कवि जनो के कोई शानदार मैसेज छोङे जिससे सबकी रचनाए बेहतर बने।
कवियत्री इंद्राणी साहू 'साँची': करत-करत अभ्यास के, जड़मति होत सुजान ।
रसरी आवत जात ही, सिल पर परत निशान ।।
तो बस अधिक पढ़ना, कम बोलना, सार्थक लिखना और धैर्य इसके सहारे गगन छू सकते हैं हम सभी।
भवानीसिंघ राठोड़ 'भावुक': पटल पर निष्क्रिय सदस्यों को सक्रिय कैसे किया जाये,कोई उपाय या टोटका!!!
 कवियत्री इंद्राणी साहू 'साँची': उनकी निष्क्रियता का कारण पूछें, अगर कोई समस्या हो तो निराकरण करें, थोड़ा ही सही पर सृजन करें , इसके लिए आग्रह करें, और फिर भी वे निष्क्रिय ही बने रहें, तो समझिए कि उन्हें सृजन करने में कोई रूचि नहीं है, और ऐसे में उन्हें पटल के नियमों से बाँध कर रखना उनके साथ अन्याय होगा, उन्हें ससम्मान विदा करें।
भवानीसिंह राठौड़ भावुक: आपने अपना अमुल्य समय देकर अपने विचार प्रस्तुत किये आपका धन्यवाद। 

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