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सोमवार, 23 अगस्त 2021

जसवंतपुरा के राजपूत समाज ने किया मृत्यु भोज बंद।

 जसवंतपुरा के राजपूत समाज ने किया मृत्यु भोज बंद।
महेन्द्र सिंह राठौड़ जाखली मधु हाल जयपुर।
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● कुरीतियों, कुरिवाजों व कुप्रथाओं को हटाने के अभियान की गतिविधियों को ओर तेज करो।
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रविवार दिनांक 22-08-2021 को राजपूत समाज में व्याप्त कुरीतियों, कुरिवाजों व कुप्रथाओं के विरूद्ध अभियान को आगे बढ़ाने के लिए एक मीटिंग का आयोजन गांव जसवंत पुरा जिला नागौर राजस्थान में हुआ है।

 निम्नलिखित तय प्रस्ताव पास कर निर्णय लिए गये हैं।
 
विगत कई वर्षों से यह मांग गांव जसवंत पुरा जिला नागौर राजस्थान में बार बार उठ रही थी कि मृत्यु उपरांत कई रश्मों रिवाज व्यर्थ ही समाज द्वारा ढोई जा रही है लेकिन इस पर कोई ठोस कार्रवाई अभी तक नहीं हो पायी है।

अब युवा व बुज़ुर्ग वर्ग दोनों ने एक साथ ये बिडा़ उठा लिया है कि समय की मांग के अनुसार हमें भी सुधार करने चाहिए इसीलिए गम के मौकों पर होने वाले व्यर्थ के खर्चे बंद कर देना ही समझदारी है। 

दहेज विरोधी क्षत्रिय संघ द्वारा चलाये गये कुरीतियों, कुरिवाजों व कुप्रथाओं के अभियान से प्रभावित होकर कार्यकर्ता प्रणवेन्द्र सिंह राठौड़, विक्रम सिंह राठौड़ एवं इनकी टीम के सदस्यों ने मिलकर अपने गांव जसवंत पुरा के मुख्य बुजुर्गों, युवाओं से चर्चा करके मृत्यु भोज एवं अन्य फिजूल खर्च को बंद करने हेतू निवेदन किया तो सभी गांववासियों ने मीटिंग बुलाकर चर्चा करने की बात कही।

इस मीटिंग में समाज के लोग दूर दराज से पंहुच कर मृत्यु भोज जैसी कुप्रथाओं का अंत करने का निर्णय लेकर कुरीतियों को बंद किया हैं।

गांव जसवंत पुरा के निम्नलिखित मुख्य कार्यकर्ताओं ने अहम भूमिका निभाई ओर गांव के लोगों को इकट्ठा कर मीटिंग का आयोजन किया, जिसमें भवानी सिंह, पुरण सिंह, नेपाल सिंह, यतीश सिंह, विक्रमसिंह, प्रणवेन्द्र सिंह, सुरेन्द्र सिंह, प्रदीप सिंह, हनुमंत सिंह, कमल सिंह, भागीरथ सिंह आदि ने घर घर जाकर सभी को जागरूक किया है।

इनके अलावा ठाकुर राजेन्द्र सिंह जी, मान सिंह जी, मदन सिंह जी, गोपाल सिंह जी, गिरवर सिंह जी, हरि सिंह जी, भवानी सिंह जी, नरेंद्र सिंह जी, भंवर सिंह जी आदि भी मीटिंग में मौजूद थे।

जो गांव में मौजूद नहीं थे उनसे मोबाईल फोन पर सहमति ली गई हैं तथा मीटिंग में मौजूदा भाईयों ने रजिस्टर में लिखा पढी़ कर मृत्यु भोज व अन्य कुप्रथाओं को साफ कर दिया है हुकुम।

मीटिंग में मृत्यु भोज, शोक बंधाई, छमाही, तीसरा, आदि नहीं करने का निर्णय लिया गया हैं। इसके अलावा गांव के लोगों को जीमने के लिए न्योता नहीं देने की सहमति बनी है।

साथ ही साथ बारहवें दिन को दोपहर को ही गरुड़ प्राण व पाग का दस्तूर करने एवं मेहमानों को सायंकाल न रोकने का फैसला किया है ताकि सभी मेहमान दिन में ही अपने गन्तव्य स्थान पर सायंकाल तक अपने घर पहुंच सके।

सगे समधियो से कपडे़ व लूगडी़ आदि न मंगवाने का निर्णय लिया है न ही बाटका में किसी सगे समधी से रूपये रखवाये जायेगें।

इस प्रकार से मृत्यु उपरांत सभी प्रकार की कुरीतियों, कुरिवाजों व कुप्रथाओं को हटा दिया है।

हमारे कार्यकर्ता आदरणीय प्रणवेन्द्र सिंह राठौड़ व उनके टीम की दहेज विरोधी क्षत्रिय संघ भूरी भूरी प्रशंसा करता है हुकुम। आपने राजपूत समाज के उत्थान व उन्नति के लिए अथक प्रयास कर बदलाव की दिशा में काम किया है।

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