कोरोना मृतकों के परिजन को मदद या मजाक!!
●सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों से इलाज का रिकाॅर्ड और आरटी-पीसीआर लाने के लिए कहा जा रहा है।
●क्या सरकार अपने स्तर पर यह सारे रिकाॅर्ड निकायों को उपलब्ध नहीं करवा सकती है।
●आखिर दुखी परिजन को इधर-उधर धक्के खाने के लिए मजबूर क्यों किया जा रहा है।
प्रेम आनन्दकर, अजमेर।
अजमेरः05 जून।
इन दिनों राजस्थान में केंद्र और प्रदेश सरकार द्वारा कोरोना से मरने वाले परिजन को आर्थिक व अन्य सहायता देने के लिए स्थानीय निकायों (नगर परिषद, नगर पालिका, नगर निगम) के माध्यम से फाॅर्म भरवाए जा रहे हैं। इन फाॅर्मों के साथ आवेदकों से उनके आधार कार्ड, 18 साल से छोटे बच्चों के जन्म प्रमाण पत्र, मृतक के आधार कार्ड आदि मांगे जा रहे हैं। यह दस्तावेज मांगने में कोई हर्ज नहीं है, मांगे भी जाने चाहिए, क्योंकि उसके आधार पर ही सहायता दी जा सकेगी। लेकिन अफसोस इस बात का है कि मृतकों से आवेदकों से ही उस संबंधित अस्पताल से इलाज संबंधी रिकाॅर्ड लाने के लिए कहा जा रहा है, जहां मृतक ने अंतिम सांस ली। अव्वल तो यह बता दें कि कोरोना से मरने वालों की सूची स्थानीय निकायों को सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों से ही उपलब्ध कराई गई है। इसका मतलब तो यही हुआ कि इन अस्पतालों ने केवल उन्हीं मरीजों की सूची भेजी है, जिनकी मृत्यु कोरोना से हुई है। तो फिर संबंधित मृतक के परिजन से अस्पताल से इलाज संबंधी रिकाॅर्ड मंगवाने का क्या तुक है, यह समझ से परे है। यदि सरकार चाहे, तो अस्पतालों को मृतकों की सूची के अनुसार इलाज संबंधी रिकाॅर्ड संबंधित निकाय को भेजने के लिए आदेश दे सकती है। इससे मृतकों के परिजन बिना वजह धक्के खाने से बच सकते हैं। सबसे बड़ी दिक्कत यह है कि सरकारी अस्पतालों से इलाज का रिकाॅर्ड हासिल करना बहुत पेचीदा और दिक्कत भरा काम है, वहीं प्राइवेट अस्पताल वाले रिकाॅर्ड देने के नाम पर डेढ़ सौ-दो सौ रूपए ले रहे हैं। अब मानवता के इन दुश्मनों से कोई पूछे कि एक तो परिवार का सदस्य चले जाने का गम है और उन पर दुखों का पहाड़ टूट गया है, दूसरा वे यह राशि उन्हें कहां से लाकर दें। कई ऐसे परिजन भी हैं, जिनमें माता-पिता दोनों ही चल बसे हैं और छोटे-छोटे बच्चे हैं, जिनकी आसपास वाले मदद कर जैसे-तैसे फाॅर्म भरवा रहे हैं। यदि सरकार द्वारा कोरोना से मरने वालों के मृत्यु प्रमाण पत्र में मौत का कारण कोरोना लिखने का आदेश दे देती, तो भी दुखी परिवारों को धक्के खाने को मजबूर नहीं होना पड़ता। माना कि मृत्यु प्रमाण पत्र में मौत का कारण नहीं लिखा जाता है, लेकिन सरकार अस्पतालों को संबंधित निकायों को संबंधित मृतकों के इलाज संबंधी रिकाॅर्ड भेजने का आदेश देकर दुखी परिवारों को राहत तो दे सकती है। यदि सरकार ऐसा करती है, तो वाकई वांछित और दुखी परिवारों को जल्द से जल्द आर्थिक व अन्य सहायता मिल सकती है।
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