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शुक्रवार, 18 जून 2021

भारतीय संविधान के जनक-बी एन राय।

भारतीय संविधान के जनक-बी एन राय।

बेनेगल नरसिंह राव का जन्म 26 फरवरी 1887 को मंगलौर,मद्रास प्रेसीडेंसी,ब्रिटिश भारत (वर्तमान कर्नाटक राज्य) एक बेहद शिक्षित परिवार में हुआ था।उनके पिता बेनेगल राघवेंद्र राऊ मशहूर डॉक्टर थे। नरसिंह राऊ ने मेंगलुरु के केनरा हाई स्कूल से पढ़ाई की।उन्होंने पूरे मद्रास राज्य में सबसे ज्यादा अंकों के साथ परीक्षा पास की। स्नातक की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने आगे की शिक्षा ट्रनिटी कॉलेज कैंब्रिज से पूरी की।
1909 में राऊ ने भारतीय सिविल सेवा की परीक्षा पास की और भारत लौट आए. उन्हें पहली पोस्टिंग बंगाल में मिली. 1925 में उन्हें एक साथ दो पोस्ट ऑफर की गईं, उन्हें असम में प्रोविंशियल काउंसिल के साथ सरकार का कानूनी सलाहकार भी बनाया गया। साल 1935 में उन्होंने ब्रिटिश सरकार के भारत में सुधारों के लिए शुरू किए गए कामों में योगदान देना शुरू किया।
उन्होंने 1935 के गवर्नमेंट ऑफ इंडिया एक्ट को बनाने के लिए भी अपना योगदान दिया। इसके बाद उन्हें कलकत्ता हाईकोर्ट में जज बनाया गया। इसके अलावा वो जम्मू-कश्मीर राजशाही के प्रधानमंत्री पद पर भी रहे।

संविधान निर्माण में रोल

साल 1946 में नरसिंह राऊ की विद्वता के मद्दनेजर उन्हें संविधान सभा का संवैधानिक सलाहकार बनाया गया ।नरसिंह राऊ ने ही साल 1948 में भारतीय संविधान का शुरुआती ड्राफ्ट बनाकर तैयार किया था। यह हमारे भारतीय संविधान का पहला मूल ड्राफ्ट था। इसी ड्राफ्ट पर संविधान सभा ने अलग-अलग बिंदुओं पर बहस कर हमारा संविधान तैयार किया। बहस के बाद जब हमारा संविधान तैयार हुआ तो 26 नवंबर 1949 को इसे स्वीकार कर लिया गया।
संविधान के लिए कई देशों की यात्रा
भारतीय संविधान का ड्राफ्ट तैयार करने के लिए नरसिंह राऊ ने कई देशों की यात्रा की थी। रिसर्च के सिलसिले में वो अमेरिका, कनाडा, आयरलैंड और ब्रिटेन गए थे। इसके दौरान उन्होंने वहां के न्यायविदों और रिसर्च स्कालर्स से बातचीत की थी।

इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस

भारत में संविधान निर्माण के काम के बाद बीएन राऊ ने इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस में भी काम किया। वो वहां जज रहे। साल 1949 से लेकर 1952 तक वो संयुक्त राष्ट्र में भारत के प्रतिनिधि रहे। राऊ यूनाइटेड नेशंस सिक्योरिटी काउंसिल के अध्यक्ष भी रहे।



             बी एन राव जिनका पूरा नाम बेनेगल नरसिंह राव था, उन्हें संविधान का पहला ड्राफ्ट बनाने का काम दिया गया। उन्हाेंने एक तरह से संविधान का मूल ढांचा तैयार किया। जिसका डॉ अम्बेडकर काे क्रेडिट दिया। उसी बी एन राव की मूर्तियाँ तो छोड़िए, कोई उनकी तस्वीर भी नहीं पहचानता होगा। 95 फीसदी युवा जानता भी नहीं होगा। क्योंकि वो राजनेता नहीं थे। बल्कि एक सिविल सर्विस ऑफिसर थे। ज्यूडियरी को सालों उन्होंने अपनी सेवाएँ दी।आजादी से पहले देश के तमाम राज्यों की प्रशासनिक समस्याओं को सुलझाया और आजादी के बाद देश की और फिर इंटरनेशनल लेवल पर भी। लेकिन अपने पीछे समर्थकों या अनुयायियों की जमात तैयार करके नहीं छोड़ गए। राजनीति के करीब रहते हुए भी हर वक्त समस्याओं को सुलझाने में ही लगे रहे।

           25 नवम्बर 1949 को डॉ भीमराव अम्बेडकर सविधान सभा को सम्बोधित कर रहे थे तब डॉ अम्बेडकर ने अपने भाषण में बी एन राव के बारे में कहा, ‘’ 
"The credit that is given to me does not really belong to me. It belongs partly to Sir B. N. Rau, the Constitutional Adviser to the Constituent Assembly who prepared a draft of the Constitution for the consideration of the Drafting Committee"

         ये क्रेडिट जो मुझे दिया जा रहा है, वाकई में मुझसे ताल्लुक नहीं रखता है। इसका एक हिस्सा सर बी एन राव को जाता है। सविधान सभा के संवैधानिक सलाहकार बी एन राव ने ही संविधान का सर्वप्रथम ड्राफ्ट बनाकर प्रारूप समिति को दिया।

            आप संविधान के बारे में अगर पढ़ते होंगे कि इस देश से मूलभूत अधिकार लिए, नीति निर्देशक तत्व यहाँ से लिए, संसदीय व्यवस्था इस देश से ली, तो इन सभी देशों में जाकर वहाँ के संविधान विशेषज्ञों, जजों और राजनीतिज्ञों से मिलने का काम, वहाँ के संविधानों का अध्ययन करने का बेसिक काम बीएन राव ने ही किया था। जो संविधान सभा के संवैधानिक सलाहकार बनाए गए थे। यही सच है। 
            राव के संविधान के ड्राफ्ट में कुल 243 आर्टिकल्स और 8 सैक्शंस थे। जिनको बेस बनाकर ड्राफ्टिंग कमेटी उन्हें 315 आर्टिकल्स तक पहुंचाया। बाद में संविधान सभा में बहस और 2473 संशोधनों के बाद आर्टिकल्स की संख्या 395 तक पहुंच गई, सैक्शंस 8 ही रहे।

         देश के युवाओं को ताज्जुब होगा कि यूनाइटेड नेशंस की जिस सिक्योरिटी काउंसिल में सदस्य बनने के लिए भारत सालों से हाथ मार रहा है, ये बंदा बी एन राव उसका प्रेसीडेंट रह चुका है और कई बड़े इंटरनेशनल फैसले उसने उस वक्त लिए। इतना ही नहीं बी एन राव को उन दिनों यूनाइटेड नेशंस के सेक्रेट्री जनरल की पोस्ट के लिए सबसे योग्य माना जाता था। लेकिन भारत सरकार ने कहने पर इंटरनेशनल कोर्ट हेग का इलेक्शन लडे़ और जज बनकर चले गए और बाद में बीमारी से स्विटजरलैंड के ज्यूरिख में उनकी मौत 30 नवम्बर 1953  हो गई।  

            आपको ये जानकर हैरत होगी कि इस शख्स ने ना सिर्फ भारत के संविधान का पहला ड्राफ्ट तैयार किया बल्कि वर्मा (म्यांमार) की सरकार की गुजारिश पर उनके संविधान का भी ड्राफ्ट तैयार किया था।

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